इंटरनेट इतिहास ( About Internet )
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Internet - इन्टरनेट ने
दुनिया
को
सही
अर्थों
में
एक
ग्लोबल
विलेज
बना
दिया
है
इंटर
जिसमें
एक
क्लिक
पर
हर
तरह
की
जानकारी उपलब्ध
है।
2 सितम्बर, 1969 को पहली
बार
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (लॉस
एंजिल्स, अमेरिका) में
दो
अलग-अलग कम्प्यूटरों द्वारा
सूचनाओं का
आदान-प्रदान किया गया
था।
लेन
क्लीनरॉक के
इन
परीक्षणों ने
ही
इंटरनेट का
सूत्रपात किया।
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internet kya hai in Hindi |
Internet ki Saruwat kese Huyi????????
वर्ष 1969 में अमेरिकी रक्षा
विभाग
की
एडवांस्ड रिसर्च
प्रोजेक्ट एजेंसी
ने
अमेरिका के
चार
विश्वविद्यालयों के
कम्प्यूटर की
नेटवर्किंग करके
'अपरानेट' की
शुरुआत
की
थी।
सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महाक्रांति लाने वाले इंटरनेट ने 2 सितम्बर, 2022 को अपने जन्म के 53 वर्ष पूर्ण किये हैं।
Internet Kya Hai?????
इन्टरनेट नेटवर्कों का नेटवर्क है।
160 से
अधिक
देश
इसके
सदस्य
हैं।
इन्टरनेट के
डोमेन
और
प्रोटोकोल के
मसले
पर
निगरानी और
संचालन
का
जिम्मा
अमेरिका की
आइकन
(इन्टरनेट कोर्पोरेशन फॉर
असाइड
नेम्ड
एंड
नंबर)
नामक
एजेंसी
के
पास
है।
इंटरनेट कम्प्यूटरों को जोड़ने की सर्वाधिक सक्षम अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रणाली है।
इंटरनेट की सहायता से
ध्वनि,
ग्राफिक्स, सॉफ्टवेयर तथा
सूचनाओं से
संबंधित अन्य
सभी
प्रकार
के
संकेतों का
सम्प्रेषण सम्भव
है।
इस
नेटवर्क में
प्रत्येक कम्प्यूटर टेलीफोन लाइनों
के
माध्यम
से
आपस
में
जुड़े
रहते
हैं।
About WWW ( WWW-world wide web Kya hai?)
→ वर्ल्ड
वाइड
वेब
(WWW-world wide web)- यह
एक
प्रकार
का
O डाटा
बेस
है
जिसकी
सहायता
से
इंटरनेट पर
सूचनाएँ प्राप्त की
जा
सकती
हैं।
इसमें
सूचना
को
अलग-अलग शीर्षक और
उपशीर्षक के
तहत
रखा
जाता
है।
वर्ल्ड
वाइड
वेब
का
प्रत्येक पेज,
वेब
पेज
कहलाता
है
और
ये
पेज
HTML (Hyper Text Markup Language) में लिखे
जाते
हैं।
ये
वेबपेज
जहाँ
संग्रहित रखे
जाते
हैं
उसे
वेबसाईट कहते
हैं।
वेबपेज
का
प्रथम
पेज
होमपेज
कहलाता
है।
Wwwका
विकास
टिम
बर्नर्स ली
ने
1989 में
किया।
इंटरनेट की कार्य पद्धति ( Internet Working Pattern)
इंटरनेट, ऑप्टिकल फाइवरों से जुड़े कम्प्यूटरों का एक व्यापक नेटवर्क है। इस प्रणाली में कम्प्यूटरों के जाल की एक मुख्य कम्प्यूटर, आपस में टेलीफोन लाइन के द्वारा जोड़ता है। जोड़ने का कार्य जब टेलीफोन लाइन के बजाए आम तारों के द्वारा किया जाता है तो यह पद्धति नेटवर्किंग कहलाती है। कम्प्यूटर तथा टेलीफोन आपस में मोडेम के माध्यम से जुड़े होते हैं। इंटरनेट के लिए
आवश्यक उपकरण हैं-
(i) पर्सनल कम्प्यूटर
(ii) टेलीफोन या विशेषीकृत लाइन
(iii) महिम
(iv) इंटरनेट सॉफ्टवेयर (वेब ब्राउसर)
(v) इंटरनेट सर्विस
प्रदाता (ISP- Internet Service Provider)- यह इंटरनेट से
संदेश
को
उपयोगकर्त्ता तक पहुँचाता है।
इंटरनेट से जुड़ना-
(i) Modem की स्थापना विण्डोज के कंट्रोल पैनल में जाकर इसे स्थापित किया जा सकता है। नियंत्रण कक्ष मॉडेम सेट करना प्रारंभ करें
(ii) इंटरनेट से कनेक्ट होना- My Computer Dial up Networking - Make
D Server वह मुख्य
कम्प्यूटर जो
इंटरनेट के
माध्यम
से
अन्य
New Connection My Connection कम्प्यूटरों को सूचनाएँ देने में सक्षम होता है, Host या Server कहलाता है। Host सामान्यतया Server का काम करता है. इसलिए Host हमेशा बाकी अन्य कंप्यूटर की तुलना में अधि क शक्तिशाली होता है। TCP/IP Network के हर Host का एक अलग IP Address होता है, जिससे उस Host की Network पर एक अलग पहचान होती है। नेटवर्क कार्ड टीएसएल / केबल इंटरनेट और अन्य कम्प्यूटरों को जोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है।
Domain Name Kya hota hai ?
इंटरनेट से जुड़े हर शब्द का एक खास नाम होता है। जैसे- www.hindiaccounting.in यह एक वेबसाइट का पता है। पते की इस प्रणाली को क्षेत्र नाम प्रणाली (domain name system- DNS) कहा जाता है।
→ जब हम किसी सर्वर से संपर्क स्थापित करना चाहते हैं तो हमें अंग्रेजी में एड्रेस टाइप करना होता है। लेकिन सर्वर IP के अंग्रेजी एड्रेस को संख्यांक IP एड्रेस में अनुवादित कर देता है। जिस सर्वर पर वेब पेज या डॉक्यूमेंट होते हैं, उसे वेबसाइट कहा जाता है। रामलिंगा राजू- सत्यम कम्प्यूटर्स के संस्थापक, अध्रिप्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के गरगापारू गाँव के निवासी राजू ने हैदराबाद को एक समय साइबराबाद के नाम से प्रसिद्ध कर दिया था। D लोकप्रिय पत्रिका 'वायर्ड' ने इंटरनेट को 2010 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिये नामांकित किया। D देश को कुल जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में इंटरनेट उपभोक्ताओं को सर्वाधिक संख्या ऑस्ट्रेलिया में है।
भारत में कुछ
सीमित
रूप
से
इंटरनेट का
प्रवेश
1987-88 में
हो
गया
था
पर
जन-सामान्य के लिए इंटरनेट सेवा
का
आरम्भ
विदेश
संचार
निगम
लिमिटेड (VSNL) द्वारा 15 अगस्त,
1995 को
'गेटवे
इंटरनेट' के
नाम
से
आरम्भ
किया
गया।
निजी
क्षेत्र की
कंपनी
सत्यम
इनफो
वे
नवंबर
1998 से
इंटरनेट सेवा
शुरू
करने
वाली
देश
की
दूसरी
इंटरनेट सेवादाता थी।
वर्तमान में
भारत
में
इंटरनेट की
सेवायें दो
माध्यमों से
उपलब्ध
करायी
जाती
है-
(i) PSTN टेलीफोन लाइनों
के
माध्यम
से।
(ii) ISDN इंटरनेट के
लिए
विशेषीकृत लाइनों
से
सेवा।
प्रोटोकॉल (Protocol)
इंटरनेट पर दो समान नेटवर्क या मित्र नेटवर्क के कम्प्यूटर, एक-दूसरे से इन्फोर्मेशन का आदान-प्रदान करने के लिए कुछ निश्चित नियम का अनुपालन करते हैं तथा इन नियमों के समूह को प्रोटोकॉल्स कहा जाता प्रोटोकॉल कम्प्यूटरों (संगणक) और संजाल में अंकीय संचार के आदान-प्रदान की मानक और औपचारिक प्रक्रिया होती है।
ये दो प्रकार के होते हैं- (1) L.P. प्रोटोकॉल- एक कम्प्यूटर का दूसरे कम्प्यूटर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए बनाए गए नियमों के समूह को L.P.. (Internet Protocol) कहा जाता है।
IP Address Kya Hota hai-
नेटवर्क में सर्वर और उससे जुड़े प्रत्येक नोड को एक पहचान कोड दिया जाता है जो इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) एड्रेस कहलाता है। यह इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर का पता होता है जो चार संख्याओं में होता है। जब हम किसी वेबसाइट को ढूँढने के लिए ब्राउन (Browse करते हैं तो वे जर सर्वप्रथम उसके आईपीएस का पता लगाता और फिर उसे कम्प्यूटर से जोड़ देता है। IP एड्रेस में चार संख्याएँ होती है। एक के बाद दूसरी संख्या होती है, जैसे - 192.168.1.12
Dynamic IP Address
हमारे Network द्वारा हमारे किसी Device को Provide किया गया ये IP Address Number तभी तक हमारे डिवाइस को Refer करता है, जब तक हम नेट से कनेक्ट रहते हैं। जैसे ही हम नेट से Disconnect होते हैं. हमें Allot किया गया IP Number किसी अन्य डिवाइस को Provide किया जा सकता है। TCP प्रोटोकॉल सूचनाओं के स्थानान्तरण के लिए बनाये गए नियमों के समूह x1टीसीपी (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल) कहा जाता है। TCP/IP प्रसारण नियंत्रण मानक है जिसकी मदद से विभिन्न प्रकार के संगणक और ऑपरेटिंग सिस्टम आपस में संवाद कायम करते हैं। TCP/IP (समिशन कंट्रोल प्रोटोकॉलरनेट प्रोटोकॉल) हटा को छोटे पैकेट में तोड़ देता है। इंटरनेट ट्राममिशन आमतौर पर TCPIP इस्तेमाल करता है। जब कोई कम्प्यूटर इंटरनेट पर छटा भेजता है तो टाटे पीस या पैकेट में टूट जाता है। प्रत्येक पैकेट में होता है जिसमें उसकी मंजिल, उसका पता और कमचार सूचना शामिल रहती है। ये पैकेट उपलब्ध सबसे तेज के जरिए मंजिल तक पहुंचते है। जिस उपकरण के जरिए ये लक्ष्य तक पहुंचते है वे राउटर कहलाते हैं। सोर्स से मंजिल तक उपलब्ध सबसे अच्छे रास्ते से पैकेट के म की यह तकनीक पैकेट स्विचिंग कहलाती है।
अन्य प्रोटोकॉल
हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (Hyper Test Transfer Protocol)- एक संचार सहित प्रोटोकॉल है जो हाइपर टेक्स्ट में निबद्ध सूचनाओं को इंटरनेट पर वितरित करने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह प्रोटोकॉल वेब पेज के प्रारूप (Format) तथा प्रसारण (Transmission) का निर्धारण करता है। DTV Internet Protocol, DTV प्रोटोकॉल एक नेटवर्क के अंतर्गत ब्रॉडमैण्ड तकनीक द्वारा टीवी तक डिजिटल सिग्नल पहुँचाने की तकनीक है। इस इंटरनेट टीवी पर विडियो ऑन डिमाण्ड (Video on Demand) की सुविधा भी मिलती है। FTP (File Transfer Protocol इसकी मदद से इंटरनेट पर एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर को पहल का स्थानांतरण किया जाता
What is Search Ingine - (वेब खोज इंजिन)
वेब खोज इंजिन एक ऐसा खोज इंजिन (search engine) है जिसे विश्वव्यापी वेब पर सूचना की खोज के लिए बनाया गया है। सर्च इंजिनों का काम है वेबसाइटों में रखी सामग्री को जरूरत पड़ने पर सिलसिलेवार ढंग से यूजर के सामने रखना। सूचना में वेब पेज, चित्र और अन्य प्रकार की सूचनाएं हो सकती है। कुछ खोज इंजिन उपलब्ध डाटा जैसे न्यूजबुक्स, डाटाबेस या open directories में हो सकते हैं
हर कंपनी और हर सर्विस प्रोवाइडर चाहता है कि उसके वेब पेज, सच रिजल्ट्स में सबसे ऊपर दिखाई दें। इसलिए वे अपनी वेबसाइटों की सामग्री को सर्च इंजिनों पर बेहतर रैंकिंग पाने के लिहाज से संशोधित करवाते हैं। इस प्रक्रिया को सर्च इंजिन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) कहते हैं।
कुछ प्रमुख खोज
इंजन -
Yahoo! Search
ask
bing
blekko
Dogpile
My Web Search
Lycos
Info Search
Web Crawler
Info space
Excite
Aol Search
GoodSearch
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